विशिष्ट आयोजन
वर्तमान सन्दर्भो में समिति, हिन्दी के प्रसार के साथ साथ सभी भारतीय भाषाओ के बीच सम्वाद प्रक्रिया आरम्भ कर भाषायी समन्वयन तथा सूचना तकनीक के क्षेत्र में हिन्दी के प्रयोग को बढावा देने की दिशा में काम कर रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु समिति ने कई कार्यशालाए आयोजित की है।
गांधीजी की अध्यक्षता में हिन्दी साहित्य सम्मलेन का ८वा अधिवेशन सन १९१८ में
समिति के प्रेरणास्रोत बापू सन् १९१८ में पहली बार समिति आए। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के ८ वें अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए बापू ने यहीं से सबसे पहले हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का आव्हान किया था। हिन्दी भाषा के इतिहास में इस अधिवेशन को मील का पत्थर माना जाता है.इसी अधिवेशन में बापू ने अपने पुत्र श्री देवदत्त गांधी,पंडित हरिहर शर्मा और पंडित ऋषिकेश शर्मा को हिन्दी दूत बनाकर दक्षिण भारत में हिन्दी का प्रचार करने भेजा था. संभवतः ये विश्व का पहला ऐसा उदाहरण है जब किसी महापुरुष ने धर्म या विचार का नहीं बल्कि भाषा का प्रचार करने के लिए दूत भेजे थे.इस अधिवेशन में एकत्रित राशि से ही तत्कालीन मद्रास प्रांत में हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना हुई थी.इस तरह देश के अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी के प्रचार का पहला प्रयास समिति से ही प्रारंभ हुआ । आज दक्षिण और पूर्वी राज्यों में हिन्दी का जो स्वरूप दिख रहा है उसका बीजारोपण समिति ने ही किया है। इसी अधिवेशन के दौरान बापू ने २९ मार्च १९१८ को समिति के भवन का भूमिपूजन भी किया था.