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श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर-परिचय 

श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर, हिन्दी के प्रचार, प्रसार और विकास के लिये कार्यरत देश की प्राचीनतम सन्स्थाओ में से एक है। समिति की स्थापना सन् १९१० में महात्मा गांधी की प्रेरणा से हुई थी। सन १९१८ में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने समिति के इन्दौर स्थित परिसर से ही सबसे पहले हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का आव्हान किया था। 

उद्देश्य

वर्तमान संदर्भो में समिति हिन्दी भाषा के संवर्द्वन के साथ-साथ भारतीय भाषाओं में समन्वयन तथा सूचना तकनीक में भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है। हिन्दी के विभिन्न आयामों पर शोध के लिए समिति में डॉ.परमेश्वरदत्त शर्मा शोध संस्थान की स्थापना की गई है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त इस शोध केन्द्र में विभिन्न विषयों पर शोध कर रहे शोधार्थी हिन्दी भाषा और साहित्य को सम्रद्ध करने का प्रयास कर रहे है. देवभाषा संस्कृत के वैज्ञानिक आयामों पर शोध को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समिति ने संस्कृत शोध केन्द्र की स्थापना भी की है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त इस केन्द्र का शुभारंभ भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती प्रतिभादेवी सिंह पाटिल ने किया था।

कल्पना और लक्ष्य

भाषा और साहित्य के साथ-साथ समिति अब कला,संगीत और संस्कृति के क्षेत्रों में सृजनशीलता को प्रोत्साहित करने का दायित्व निभा रही है। दरअसल भाषा और साहित्य के क्षेत्र में समिति की दीर्घकालीन राष्ट्रीय सेवा में मिले अनुभवों को अब राष्ट्रीय संस्कृति के विकास और विस्तार के लिए नियोजित कर समिति को भाषा,साहित्य,कला और संस्कृति का सृजन केन्द्र बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

पुस्तकालय

समिति का पुस्तकालय मध्यप्रदेश के सबसे समृद्व और प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है। वर्तमान में यहा लगभग 22 हजार पुस्तके है। पुस्तकालय का कम्प्यूटीकरण हो चुका है। इस पुस्तकालय को नेशनल लायब्रेरी नेटवर्क से जोड़ने तथा ई-लायब्रेरी के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे है। समिति की योजना यहॉ पर एक ऑड़ियों विज्युअल लायब्रेरी स्थापित करने की है। इन्दौर के रंगकर्मी और कलाकर्मियों को एक नया मंच देने के लिए समिति परिसर में एक आर्ट गैलरी और मासिक नाट्य शिविर शुरू करने की भी योजना बनाई जा रही है।

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