विशिष्ट आयोजन
वर्तमान सन्दर्भो में समिति, हिन्दी के प्रसार के साथ साथ सभी भारतीय भाषाओ के बीच सम्वाद प्रक्रिया आरम्भ कर भाषायी समन्वयन तथा सूचना तकनीक के क्षेत्र में हिन्दी के प्रयोग को बढावा देने की दिशा में काम कर रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु समिति ने कई कार्यशालाए आयोजित की है।
देशी रियासतों में हिन्दी के प्रयोग के लिए अभियान सन् १९१५ में
समिति के संस्थापकों का मूल उद्देश्य हिन्दी को उसकी गरिमा के अनुरूप यथोचित सम्मान दिलाना था.पुस्तकालय के रूप में समिति की स्थापना के तत्काल बाद समिति के मनीषी अपने इस उद्देश्य में जुट गए थे.समिति के सदस्यों का न सिर्फ इंदौर बल्कि आसपास की रियासतों में भी काफी अच्छा प्रभाव था.श्री माधवराव किबे, सर सिरेमल बापना, पं.कृष्णानंद मिश्र, बाबू गोपालचन्द्र मुखर्जी, पं.बनारसी दास चतुर्वेदी, डॉ.सरजूप्रसाद तिवारी, लुकमानभाई जैन और सेठ लालचंद सेठी जेसे लोगो ने अपने प्रभाव का उपयोग इन रियासतों में हिन्दी को राजकीय भाषा बनवाने के उद्देश्य से किया .
समिति ने देशी रियासतों और राज्यों में हिन्दी के प्रचार के लिए एक व्यापक जन-आन्दोलन खड़ा किया. डॉं. तिवारी और उनके सहयोगियों के प्रयास से रीवा, दतिया, झाबुआ, देवास, सैलाना, रतलाम, पन्ना, चरखारी, अलीराजपुर, राजगढ़, प्रतापगढ़, नरसिंहगढ़, झालावाड़, डूंगरपुर, खिलचीपुर, मैहर, धार और बड़वानी सहित मध्यभारत और राजस्थान की लगभग तीस रियासतों के राजाओं ने हिन्दी को अपने राज्य मे राजकाज की भाषा घोषित कर दिया था. इनमे से कई राजाओ ने समिति के संरक्षक का दायित्व भी स्वीकार किया था।

HOURS
SUNDAY SERVICES
Every Sunday from 6:00pm to 8:00pm
CHILDREN'S SERVICES
Every Wednesday from 3:00pm to 4:00pm